विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस : 75 साल पुराने घाव पर मरहम

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
गोरखपुर : 1947 में देश विभाजन पर पाकिस्तान में यातनापूर्ण जिंदगी की बजाय हिंदुस्तान में संघर्षप्रद किंतु सम्मानजनक जीवन की चाह लिए आए लोगों के समाजिक पराक्रम को पहचान दिलाने के लिए केंद्र सरकार 14 अगस्त को वृहद स्तर पर विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस का आयोजन कर रही है। प्रदेश की योगी सरकार ने केंद्र की मंशा के अनुरूप सभी जिलों में आयोजन की विस्तृत कार्ययोजना भेजी है। विभाजन की त्रासदी झेलने वालों और उनके संस्मरणों के जरिये इसकी त्रासदी महसूस करने वाले उनके परिजनों का मानना है कि स्मृति दिवस का यह आयोजन 75 साल पुराने घाव पर मरहम जैसा है। पहली बार किसी सरकार ने हमारे दर्द की दास्तां को खुद महसूस किया है और उसे जन-जन तक प्रेरक रूप में पहुंचाने की पहल की है।
1947 में देश के विभाजन के फलस्वरूप पाकिस्तान से भारत आए लोगों की एक अच्छी खासी आबादी गोरखपुर में भी बसती है। ये लोग सिंधी और पंजाबी समाज के हैं। पाकिस्तान से आए तो बिलुकल खाली हाथ थे लेकिन आज न केवल खुद व परिवार को मजबूती से स्थापित किए हुए हैं बल्कि समाज व देश की तरक्की में भी योगदान दे रहे हैं। विभाजन की त्रासदी देखने वाले जो गिनती के लोग बचे हैं, बीते वक्त को याद कर उनकी आंखें पनीली हो जाती हैं। नई पीढ़ी भी अपने पुरखों से सुने संस्मरणों को दिलों में हरवक्त ताजा रखती है ताकि उनके संघर्ष की प्रेरणा उन्हें कभी हताश-निराश न होने दे, बल्कि हौसला दे।
पाकिस्तान में थी चारो तरफ हाहाकार वाली स्थिति : किशन चंद नेभानी
गोरखपुर महानगर के एमजी इंटर कॉलेज गली निवासी 83 वर्षीय किशनचंद नेभानी बताते हैं की देश विभाजन के समय पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सक्खर जिले से उनका पूरा परिवार किसी तरह जान बचाकर आया था। वहां हिंदू, सिंधी और पंजाबी लोगों के लिए चारो तरफ हाहाकार वाली स्थिति थी। उनके दादा जी दुलाना मल को कराची बंदरगाह पर लूट लिया गया था। दादी जी के हाथ के कंगन और कान की बालियां तक नोच ली गई थीं। रक्त से सने हाथ व कान लेकर वह यहां पहुंची थीं। मकान, कारोबार, खेतीबाड़ी सबकुछ वहीं छूट गया। गोरखपुर आने के बाद परिवार के लोगों ने संघर्ष से खुद को स्थापित किया, आगे बढ़ाया। श्री नेभानी कहते हैं कि विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस के आयोजन के बारे में सुनकर खुशी हो रही है। सरकार बंटवारे का हमारा दर्द साझा कर रही है।
पिता समेत मार दिए गए थे खानदान के 250 लोग : सरदार बलवीर सिंह
बॉबिना रोड निवासी सरदार बलवीर सिंह देश विभाजन के वक्त आठ साल के थे। उनका परिवार रावलपिंडी में रहता था। पाकिस्तान में नफरत की आग इतनी भयावह थी कि बलवीर सिंह के पिता सरदार भूपेंद्र सिंह समेत खानदान के करीब 250 लोगों की हत्या कर दी गई। बचे हुए लोगों को लेकर उनके दादा जी किसी तरह बचाकर हिंदुस्तान ले आए। परिवार देवबंद, कानपुर होते हुए गोरखपुर पहुंचा। रावलपिंडी में सरदार जी की जमीदारी थी लेकिन विभाजन के बाद की दशा को याद कर बलवीर सिंह की आंखें छलक उठती हैं। वह बताते हैं कि रावलपिंडी से आने के बाद एक दिन पड़ोसी के बर्तन में खाना बना था। कुछ देर बाद पड़ोसी बर्तन मांगने आ गए। इसके बाद उनकी मां ने मजबूरी में बना खाना फर्श पर ही परोस दिया और पेट भरने के लिए हमे वही खाना पड़ा। वह बताते हैं कि बिलकुल खाली हाथ हो जाने के बाद भी परिवार के लोगों ने हार नहीं मानी और मेहनत और ईमानदारी से बढ़ते गए। विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस के आयोजन को लेकर सरदार बलवीर सिंह खुशी जताते हैं। उनका कहना है कि सरकार ने उनकी तकलीफ समझी है। इससे सबको पता चलेगा कि देश के बंटवारे में हमने क्या क्या सहा था।
गोरक्षपीठ से मिला संरक्षण, पीठाधीश्वरों ने निभाई अभिभावक की भूमिका
देश विभाजन के वक्त पाकिस्तान से गोरखपुर आए लोगों का कहना है कि यहां उन्हें गोरक्षपीठ से संरक्षण मिला। तत्कालीन पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को स्थायी रूप से बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तो उनके बाद ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और वर्तमान पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ हर समय अभिभावक जैसा ख्याल रखते हैं। शरणार्थी के रूप में आए किशन चंद नेभानी और सरदार बलवीर सिंह बताते हैं कि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने शरणार्थियों की जो मदद की, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
विभाजन विभिषिका स्मृति दिवस पर रविवार को लगेगी प्रदर्शनी, निकलेगा मौन जुलूस
विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश के मुताबिक 14 अगस्त, रविवार को गोरखपुर स्थित योगिराज बाबा गंभीर नाथ प्रेक्षागृह सुबह 9 बजे से प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसमें देश विभाजन से जुड़ी तस्वीरों को प्रदर्शित किया जाएगा। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं नवनिर्वाचित एमएलसी डॉ धर्मेंद्र सिंह करेंगे। इसी क्रम शाम करीब 5 बजे रामगढ़ ताल स्थित नौकायन पर मौन जुलूस निकाला जाएगा। इन आयोजनों में देश विभाजन के दौर में पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए परिवारों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है।